जैविक खेती में हरी खाद का उपयोग कर बढ़ायें मिट्टी की उर्वरा शक्ति

कृषि में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। ऐसे में किसान हरी खाद का प्रयोग करके न केवल अच्छा उत्पादन पा सकते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा सकते हैं। हरी खाद मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए बहुत ही उम्दा और सस्ती जीवांश खाद है। हरी खाद का अर्थ उन पत्तीदार फसलों से है, जिनकी बढ़वार जल्दी व ज्यादा होती है। ऐसी फसलों को फूल आने से पहले जुताई करके मिट्टी में मिला दिया जाता है। यह सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित होकर पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की वृद्धि करती हैं। ऐसी फसलों का इस्तेमाल में आना ही हरी खाद देना कहलाता है।
क्या है हरी खाद हरी खाद उस फसल को कहते हैं, जिसकी खेती मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाने और उसमें जैविक पदाथों की पूर्ति करने के लिए की जाती है। इससे फसल उत्पादन तो बढ़ता ही है, साथ ही यह मिट्टी के नुकसान को भी रोकती है। यह खेत को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, जस्ता, तांबा, मैगनीज, लोहा और मोलिब्डेनम आदि तत्व मुहैया कराती है। यह खेत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ा कर उस की भौतिक दशा में सुधार करती है।
हरी खाद देने की विधियां
1. इस विधि में हरी खाद जिस खेत में देनी होती है, उसी खेत में हरी खाद वाली फसल उगाई जाती है और उसी में सड़ाई जाती है। जिन क्षेत्रों में बारिश अधिक होती है, वहां इस विधि को अपनाया जाता है।
2. इस विधि में किसी अन्य खेत में उगाई गई हरी खाद की फसल को काट कर उस खेत में फैलाते हैं, जिसमें हरी खाद देनी होती है। फैलाने के बाद हरी खाद वाली फसल को मिट्टी में दबा दिया जाता है। ये विधि सघन कृषि प्रणाली और न्यूनतम वर्षा वाले क्षेत्रों में अपनायी जाती है।
हरी खाद के लिए सही फसलें सनई, ढैंचा, लोबिया, मूंग व ग्वार वगैरह हरी खाद के लिहाज से सबसे उम्दा फसलें होती हैं। इन फसलों को उगाने व उनकी अच्छी बढ़वार के लिए 30 से 40 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत होती है। ये फसलें 45 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं।
फसल तैयार होने के बाद खेत में हरी खाद देने की विधि फसल की बढ़वार पूरी हो जाने पर और फूल आने के पहले इसे मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से खेत में पलट कर पाटा चला देना चाहिए। यदि खेत में 5 से 6 सेमी. पानी भरा रहता है तो मिट्टी पलटने में कम मेहनत लगती है। जुताई उसी दिशा में करनी चाहिए जिसमें पौधों को गिराया गया हो। इसके बाद खेत में 8 से 10 दिन तक 5 से 6 सेमी. पानी भरा रहना चाहिए, जिससे पौधों के अपघटन में सुविधा रहती है। यदि पौधों को दबाते समय खेत में पानी की कमी हो या देर से जुताई की जाती है तो पौधों के अपघटन में अधिक समय लगता है।
हरी खाद के लाभ
1. इस से मिट्टी की संरचना अच्छी हो जाती है, और उसकी पानी रखने की क्षमता बढ़ जाती है।
2. मिट्टी में नाइट्रोजन की बढ़ोतरी होती है।
3. मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में इजाफा होता है।
4. मिट्टी का कटाव कम हो जाता है, नतीजतन जमीन का ऊपरी भाग महफूज रहता है।
5. क्षारीय व लवणीय मिट्टी में सुधार होता है, क्योंकि हरी खाद के विघटन से कई प्रकार के अम्ल पैदा होते हैं जो मिट्टी को उदासीन करते हैं।
6. खेत को हरी खाद से पोषक तत्व देना दूसरी विधियों के मुकाबले सरल व सस्ता है।